ABOUT HINDI POETRY

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कहा करो 'जय राम' न मिलकर, कहा करो 'जय मधुशाला'।।२९।

आने के ही साथ जगत में कहलाया 'जानेवाला',

बादल बन-बन आए साकी, भूमि बने मधु get more info का प्याला,

लुटे ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,

अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५।

और पुजारी भूला पूजा, ज्ञान सभी ज्ञानी भूला,

अगर आप को कविता मिल जाये, कृपया, अपने वेबसाईट पर डाल दीजिये और मुझे ईमेल से भेज दें

शौक, साध के और स्वाद के हेतु पिया जग करता है,

चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!

पी लेने पर तो उसके मुह पर पड़ जाएगा ताला,

अरूण-कमल-कोमल कलियों की प्याली, फूलों का प्याला,

जो हाला मैं चाह रहा था, वह न मिली मुझको हाला,

बजी न मंदिर में घड़ियाली, चढ़ी न प्रतिमा पर माला,

श्रम, संकट, संताप, सभी तुम भूला करते पी हाला,

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